शुक्रवार, 3 अप्रैल 2015

आप जैसा कोई...


1980 में आई स्टाइलिश एक्टर फ़िरोज़ ख़ान की फ़िल्म क़ुर्बानी का गाना--आप जैसा कोई ज़िंदगी में आए..अपने दौर का बेहद सुपरहिट गाना था...ज़ीनत अमान के लटके झटकों और फ़िरोज़ की स्टाइलिश एक्टिंग पर फिल्माए इस गीत के पीछे की आवाज़ थीं--पाकिस्तान की पॉप गायिका नाज़िया हसन।
तीन अप्रैल को नाज़िया हसन की पचासवीं सालगिरह थी। मग़र इसका जश्न मनाने के लिए वो हम सबके बीच नहीं थीं। वो तो पंद्रह बरस पहले ही इस मतलबी दुनिया को अलविदा कह चुकीं थीं।
ज़िंदगी का पचासवां पड़ाव, हिसाब क़िताब वाला होता है। आप अपने गुनाहों का, अपने सवाबों का हिसाब क़िताब करना शुरू कर देते हैं। पर, नाज़िया को ऊपरवाले ने इसकी मुहलत नहीं दी। उन्हें तो ज़िम्मेदारी दी गई थी, हमारी आपकी ज़िंदगी को सुरीली बनाने की। और इस ज़िम्मेदारी को नाज़िया ने बख़ूबी निभाया।
नाज़िया ने बड़ी छोटी उमर में पाकिस्तान टीवी के लिए गाने गाने शुरू कर दिए थे।
मग़र शोहरत के एवरेट पर नाज़िया पहुंचीं, फिल्म क़ुर्बानी के गीत...आप जैसा कोई...मेरी ज़िंदगी में आए...उस वक़्त नाज़िया महज़ पंद्रह बरस की थीं, जब बिड्डू के संगीत और उनके सुरों से सजा ये गाना सुपरहिट हुआ...
आपने, नाज़िया की आवाज़ को इस गीत में सुना होगा...मग़र अब सुनिए...आप जैसा कोई...गीत...नाज़िया का लाइव शो--ये बीबीसी के लिए साल 1981 में रिकॉर्ड किया गया था। लंदन में
अपने इस गीत की शानदार शोहरत के बूते पर नाज़िया, साल 1981 में फिल्म फेयर अवार्ड पाने वाली पहली पाकिस्तानी नागरिक बनीं।
इस गीत के बाद बिड्डू ने उन्हें फिल्म में काम करने का भी ऑफर दिया। मग़र, नाज़िया ने अपना फोकस केवल गाने पर रखने की ख़्वाहिश ज़ाहिर की। और इसके बाद बिड्डू ने नाज़िया के साथ मिलकर शोहरत की --बूम...बूम...कर दी
(गाने का ऑडियो--नाज़िया की चुनिंदा तस्वीरों के साथ)
1982 में आए स्टार नाम के एल्बम का ये गीत सुपर डुपर हिट रहा। इसके लिए भी नाज़िया को फिल्मफेयर अवार्ड के लिए नॉमिनेट किया गया था। इस गीत को बाद में फिल्म स्टार में भी इस्तेमाल किया गया। फिल्म तो सुपरफ्लॉप रही। मग़र ये नाज़िया के इस गीत का जादू लोगों के सिर चढ़कर बोला।
नाज़िया ने अपने भाई ज़ोहैब के साथ मिलकर पॉप सिंगिंग की जोड़ी बनाई थी। ज़ोहैब के साथ नाज़िया के गीत और शो, भारत-पाकिस्तान, ब्रिटेन और संयुक्त अरब अमीरात में ज़बरदस्त हिट हुए।
नाज़िया और ज़ोहैब का पहला एल्बम डिस्को दीवाने था। इस एल्बम ने कामयाबी के उस वक़्त तक के सारे पुराने रिकॉर्ड तोड़ डाले थे और लंबे वक़्त तक वो पॉपुलैरिटी के चार्ट में नंबर वन रहीं अपने एल्बम डिस्को दीवाने के बूते पर।
नीचे के लिंक में आप उनका और ज़ोहैब का लाइव परफॉर्मेंस देख सकते हैं...ये एक ब्रितानी टीवी चैनल के लिए था।
https://www.youtube.com/watch?v=mWzTZE-B1fM
(डिस्को दीवाने--भाई ज़ोहैब के साथ लाइव शो)
आपको ये जानकर हैरानी होगी कि, अपने गीतों से दुनिया को दीवानी बनाने वाली नाज़िया
पेशे से गायिका नहीं, एक डिप्लोमैट और राजनेता थीं। उन्होंने बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन से ग्रेजुएशन किया था।
केवल 26 बरस की उम्र में उन्होंने गायिकी को अलविदा कहकर Diplomacy को अपना करियर बना लिया था। वो संयुक्त राष्ट्र संघ के लिए काम करने लगीं थीं।
तीन साल वहां काम करने के बाद उन्होंने ख़ुद को यूनीसेफ के लिए काम करने का प्रस्ताव किया।
और उसके बाद घरवालों के कहने पर नाज़िया ने तीस बरस की उम्र में अपने घरवालों के चुने शख़्स इश्तियाक़ बेग़ से निकाह कर लिया। ये नाज़िया की ज़िंदगी का सबसे ख़राब फ़ैसला था। जो उनके मां-बाप ने लिया था। इतनी तरक़्क़ीपसंद होने के बावजूद उन्होंने परंपरा को निबाहा और अपने मां-बाप के इशारे पर अपना पल्लू उन्हीं के चुने शख़्स से बांध लिया।
बेहद ख़राब इस संबंध में बंधने से पहले ही नाज़िया को कैंसर होने की ख़बर हो चुकी थी। इस बीमारी से जूझने के लिए उन्हें जिस तरह के सहयोग की ज़रूरत थी वो शौहर से नहीं मिला। और इसका सबसे दुखद पहलू नाज़िया की मौत से महज़ दस दिन पहले सामने आया, जब उनकी आख़िरी लड़ाई के वक़्त शौहर ने तलाक़ दे दिया। तलाक़ के दस दिनों बाद ही नाज़िया का महज़ पैंतीस बरस की उमर में इंतकाल हो गया था, लंदन में।
कैंसर से लड़ाई के दौरान, कई बार नाज़ियाद की ज़िंदगी में ऐसे मौक़े आए जब लगा कि जीत उन्हीं की होगी। मग़र शायद हम लोग इतने क़िस्मतवाले न थे कि उनका और साथ मिलता और साल 2000 के अगस्त महीने में उन्होंने लंदन के एक अस्पताल में सुबह के वक़्त आख़िरी सांस ली। इससे ठीक पहले डॉक्टर उनमें सुधार देख रहे थे और ऐसा कह रहे थे कि वो नाज़िया को घर जाने की इजाज़त दे देंगे।
नाज़िया ने गायिकी में हाथ आज़माने के अलावा वक़ालत की भी पढ़ाई की थी, उनकी ज़्यादार तालीम ब्रिटेन में हुई और वहीं वो बाद के दिनों में बस भी गईं थीं।
वैसे नाज़िया का परिवार मूलत: दिल्ली का रहने वाला था। नाज़िया के दादा, दिल्ली में मुस्लिम लीग के अध्यक्ष थे। जबकि उनके परदादा दिल्ली के जाने माने बाशिंदों में से एक थे और उन्होंने समाज के लिए बड़ा काम किया था।
सोशल वर्क की इस परंपरा को नाज़िया ने भी बख़ूबी निबाहा था। अपनी छोटी सी ज़िंदगी में वो इंसानियत को सुरों के अलावा अपने कामों से भी सजाती संवारती रहीं। अक्सर नाज़िया की तुलना ब्रिटेन की प्रिंसेज़ डायना से की जाती थी।
आज भी उन्हें स्वीटहार्ट ऑफ पाकिस्तान के नाम याद करते हैं लोग।
सालगिरह मुबारक़ हो नाज़िया..
और आख़िर में नाज़िया हसन का गाया आख़िरी गीत

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