गुरुवार, 23 अप्रैल 2015

एक क्रांति के दस साल




वो केवल 19 सेकेंड की वीडियो क्लिप थी।

और उसमें केवल इतनी सी बात कहता हुआ एक युवक दिख रहा था, हाथियों के बाड़े के सामने खड़ा हुआ...

"हां तो हम यहां हैं, हाथियों के सामने। इन हाथियों के बारे में सबसे बढ़िया बात ये है कि इनके पास...बहुत बहुत बहुत ही लंबी सूंड़ है...और ये बात बहुत ही कूल है...और मेरे पास कहने के लिए बस इतनी सी बात है"

हो सकता है कि अंग्रेज़ी से हिंदी में अनुवाद करने में शब्दों का थोड़ा बहुत हेर-फेर हुआ हो, मगर भाव यही था।

इस वीडियो में दिख रहे युवक का नाम था जावेद करीम...करीम और उसके दोस्तों चाड हर्ले व स्टीव चेन ने मिलकर एक क्रांति का बीज बोया था।

इस 19 सेकेंड की क्लिप से 23 अप्रैल 2005 को एक क्रांति की चिंगारी जलाई गई थी। एक ऐसी क्रांति, जिसने मानवता का रुख़ बदल दिया। इस चिंगारी ने जिस यज्ञ की ज्वाला को प्रज्वलित किया, उसमें आज दुनिया के कोने कोने से लोग अपनी अपनी अपनी आहुति दे रहे हैं। और साथ ही इस क्रांति की मशाल से अपनी अपनी ज़िंदगी को रौशन भी कर रहे हैं। उसमें रंग भर रहे हैं।

इस क्रांति का नाम तो आपको भी मालूम होगा। नहीं मालूम...तो चलिए हम कराए देते हैं आपका इस क्रांति से परिचय....

इसका नाम है You-Tube...



जावेद करीम, चाड हर्ले और स्टीव चेन ने यूं तो यू-ट्यूब डोमेन नेम फरवरी 2005 में ही अपने नाम से रजिस्टर कर लिया था। लेकिन, इस वेबसाइट पर पहला वीडियो उन्होंने यही 19 सेकेंड की क्लिप अपलोड की थी, 23 अप्रैल 2005 को। ये सैन डिएगो के चिड़ियाघर में शूट की गई अमेच्योर क्लिप थी।

साधारण सी बात थी...लेकिन, जावेद, स्टीव और चाड की लगाई इस चिंगारी से ऐसी क्रांति भड़की कि आज आंकड़ों में उसे समेटना मुश्किल है।

यू-ट्यूब पर आज की तारीख़ में, हर एक मिनट, तीन सौ घंटे की अवधि के वीडियो अपलोड किए जा रहे हैं। पूरी दुनिया में इसके एक अरब, यानी सौ करोड़ से भी ज़्यादा सब्सक्राइबर हैं। स्टीव, जावेद और चाड के बोए क्रांति बीज का दरख़्त आज इतना बड़ा हो गया है कि यू-ट्यूब के नाम से करियर ऑप्शन तक उपलब्ध हैं। लोग करोड़ों के पैकेज वाली नौकरी छोड़कर, यू-ट्यूब में अपना भविष्य ढूंढ और बना रहे हैं।

इस यू-ट्यूब के दुनिया पर असर का अंदाज़ा लगाना हो तो टीन सेन्सेशन जस्टिन बीबर की कामयाबी से देखें...दस साल पहले बीबर की मां ने बीबर का होम वीडियो यू ट्यूब पर अपलोड किया था...जिस बीबर की आज दुनिया दीवानी है, जो अरबों की दौलत का मालिक है, उस बीबर को उस वक़्त दुनिया नहीं जानती थी। लेकिन...ये महज़ इत्तेफ़ाक़ ही था कि यू ट्यूब पर बीबर की मां द्वारा अपलोड किए गए उस वीडियो को स्कूटर ब्रॉन नामक एक शख़्स ने देख लिया...ये वही ब्रॉन हैं, जो आज बीबर के मैनेजर हैं और ख़ुद करोड़ों कमाते हैं...

जिस वक़्त बीबर की मां द्वारा अपलोडेड ये वीडियो ब्रॉन ने देखा, उन्हें अंधेरे में शूट ये वीडियो नहीं, भविष्य का एक स्टार दिखा था...

पिछले दस सालों में यू-ट्यूब के दरिया में वीडियो रूपी करोड़ों लीटर पानी बह चुका है...और जीवनदायिनी गंगा की तरह, इस बहाव ने करोड़ों लोगों के जीवन को सींचा है, आइडिये और तरक़्क़ी की मुरझाती कोपलों में नवजीवन का संचार किया है।

आज, दुनिया में कामयाबी का एक ही पैमाना है, यू-ट्यूब पर आपको कितने हिट्स मिले? कोरिया के साई हों, या फिर दीपिका पादुकोण का महिला सशक्तीकरण पर संक्षिप्त चलचित्र...यू-ट्यूब आपके अधिकारों का प्रवर्तक है, तो समय के विपरीत बहाव के दौरान आपका अवलंब भी है।

पिछले दस सालों में चल चित्रों की इस गंगा में डेटा का कमोबेश उतना ही पानी बहा है, जितना सदियों से बहती आई गंगा में जलप्रवाह हुआ है।

यूं तो यू-ट्यूब के दुनिया में अवतरित होने के पहले भी वीडियो अपलोड करने की सुविधाओं वाले पोर्टल सक्रिय थे, मगर उनमें इतने तकनीकी झाम पैंतरे थे, निजता, कॉपीराइट के इतने पचड़े थे, कि, सामान्यजन के लिए ये सुविधा सहज सुलभ नहीं थी।

लेकिन यू -ट्यूब ने एक झटके में हर ख़ासो आम को एक धरातल पर ला खड़ा किया था। अपने बच्चे की अठखेलियों का वीडियो दुनिया को दिखाना हो, तो मिनटों में काम हो जाएगा...आपके पालतू कुत्ते की कुछ हरकतें जो आपको हंसाती हैं, वो दुनिया से शेयर करना हो तो बहुत आसानी से काम हो जाएगा.

ख़ुद आपके अंदर कोई प्रतिभा है...तो फौरन वीडियो बनाएं और झट से यू-ट्यूब पर डाल दें. यू ट्यूब की कामयाबी का अंदाज़ा इसी बात से लगाएं...कि...शुरू होने के डेढ़ साल बाद ही गूगल  ने इस पौने दो अऱब डॉलर में ख़रीद लिया था।

जिस वक़्त यू ट्यूब लॉन्च हुआ, उस वक़्त गूगल कंपनी भी अपना ऐसा इंटरनेट चैनल शुरू करने की तैयारी में थी। उसने हॉलीवुड के बड़े निर्माताओं से करार करना भी शुरू कर दिया था। जो गूगल की इस सर्विस को कंटेट देते, चिकने-चुपड़े वीडियो...मगर, वो बात अधूरी ही थी कि यू-ट्यूब ने दस्तक दे दी और फिर आम जनता के  बनाए वीडियो, इस कदर पसंद किए गए कि गूगल को अपने इंटरनेट वीडियो पोर्टल के सपने को दफ़न कर देना पड़ा।

रघुपति सहाय फिराक़ ने कहा था कि साहित्य की बुनियाद निरक्षरता है...और कामयाब बढ़िया साहित्य दरअसल शानदार निरक्षरता है।

मतलब ये कि आम जन जिसे इस्तेमाल करते हों, जो आसानी से प्रयुक्त हो सके, वही असली साहित्य है और उसकी कामयाबी और लोकप्रियता की संभावना बढ़ जाती है।

यू ट्यूब के साथ भी यही हुआ। जब गूगल, हॉलीवुड के निर्माताओं की मदद से कंटेंट की क्वालिटी पर माथापच्ची कर रहा था, उस वक़्त एक साधारण सा पोर्टल स्टीव चेन, जावेद करीब और चाड हर्ले ने शुरू किया और पूरी दुनिया को आमंत्रित किया कि आओ मुफ़्त में व्लॉगिगं, यानी वीडियो ब्लॉगिंग करो...ब्लॉगिंग मतलब जो भी दिल की भड़ास है वो इंटरनेट पर निकाल दो...तो यू ट्यूब वीडियो ब्लॉगिंग का ऐसा प्लेटफॉर्म बन गया, जिसने इंटरनेट वीडियो शेयरिंग के क्षेत्र में समाजवाद ला दिया।

आज आपको कार चेज़िंग के वीडियो चाहिए, या फिर पुराने से पुराने फिल्मी गाने, पड़ोसी मुल्क़ की पुरानी फिल्मों के टुकड़े चाहिए, या फिर, किसी नाटक नौटंकी, इंटरव्यू, तफ़रीही बज़्म के वीडियो...यू-ट्यूब पर सबकुछ उपलब्ध है...यू ट्यूब पर करोड़ों की संख्या में वीडियो हैं, जो अगर आप देखना शुरू कर दें, तो उम्र तमाम हो जाएगी, मगर वीडियो नहीं, क्योंकि जब तक आप एक वीडियो देख रहे होंगे, हज़ारों दूसरे कहीं आस-पास या कहीं दूर अपलोड किए जा रहे होंगे।

क़िस्सा मुख़्तसर ये कि आज दस  बरस में ही यू ट्यूब, आकाशगंगा के समान हो गया है, जिसके ओर-छोर का कोई पता नहीं।

मगर, आम जनता का ये रियालिटी चैनल, अब उतना आम नहीं रह गया है। पिछले दस सालों में गूगल के स्वामित्व में इसके नियम क़ायदों में ज़मीनो-आसमां का फ़र्क़ आ गया है। कॉपीराइट का मसला है, एडल्ट कंटेंट है, चैनल शेयरिंग का प्लेटफॉर्म है, अरबों का विज्ञापन बाज़ार है।

पर, सबसे बढ़कर ये कि य्-ट्यूब पर अवसरों की भरमार है...अपना ओरिजिनल आइडिया लाइए, और कामयाबी के एवरेस्ट को फतह कर लीजिए और साथ ही भर लीजिए, नोटों से अपनी झोली।

https://www.youtube.com/watch?v=jNQXAC9IVRw

(FIRST VIDEO UPLOADED ON YOUTUBE)

मनोरंजन का तो इतना सामान अभी ही मुहैया है कि आने वाली कई नस्लें ठहाके लगाती रहें या फिर इमोशनल हो जाएं, जादू के कमाल देख लें, या फिर अपराध से आतंकित हो जाएं...

यू -ट्यूब के संस्थापकों में से एक चाड हर्ले ने कहा था कि we are ultimate reality tv...और रियालिटी टीवी, मनोरंजन के लिए ही तो है।

हालांकि यू ट्यूब मनोरंजन से भी बढ़कर, ऐसा बहुत कुछ है, जिसे किसी एक परिभाषा में बांधना अब मुमकिन नहीं।

तो...अपनी सुविधानुसार, जैसा भी इसका इस्तेमाल आप करना चाहें, आपके हाथ में है। ख़ुद निर्माता बनना चाहें तो भी और केवल दर्शक बने रहना चाहें तो भी, कमाई करना चाहें तो भी और दूसरे की कमाई बढ़ाना चाहें तो भी...

यू-ट्यब की महिमा अपरंपार है....


आज, इसका इतना व्यापक असर है कि तानाशाह डरते हैं, सरकारें घबराती हैं। कहीं विरोध बढ़ने पर पाबंदी लग जाती है। पड़ोसी देश पाकिस्तान में पिछले कई सालों से यू-ट्यूब पर पाबंदी लगी है। पाकिस्तान के हुक्मरानों के आदर्श रहे कमाल अतातुर्क के देश तुर्की में भी यू-ट्यूब की मनाही है।

ईरान भी नहीं चाहता कि बाक़ी दुनिया से उसके आमजन अपने वीडियो शेयर करें। इसके पीछे सच्चाई के उजागर होने का डर है, लोकतंत्र की आवाज़ का शोर बढ़ने का ख़ौफ़ है।

आज, पब्लिक यू-ट्यूब से ख़ुश है, तो शासन करने वालों को ये एक चुनौती का दैत्य दिखता है। जो गुपचुप गुनताड़ा करने वाले हैं, उनके लिए तो यू ट्यूब भस्मासुर जैसा भयावाह है, जो उनकी लंका को ख़ाक कर सकता है।

मगर, अमीरों की तरफ़ तेज़ी से झुकती इस दुनिया में  लोकतंत्र का सबसे बड़ा प्रतीक है यू-ट्यूब...

भले ही गोरखनाथ पांडेय की अमर अजर कविता ये कहती हो कि समाजवाद बबुआ धीरे धीरे आई...लेकिन यू-ट्यूब तो दुनिया में समता का सबसे बड़ा प्लेटफॉर्म है...सर्वसुलभ है, सहज है...अपना है...फिलहाल...

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