बुधवार, 14 जनवरी 2009

हमास के जज़्बे को सलाम...

हमास। ख़बरों की दुनिया से इतर शायद ज़्यादातर लोग इस शब्द से वाक़िफ़ न होंगे। पर इस हमास के हौसले ने मेरे दिल को छू लिया।
हमास, इज़राइल की आकांक्षा तले दबे कुचले फिलिस्तीनियों का संगठन है. सिद्धांत इसका इज़राइल का विरोध है. रास्ता इसने उग्रवाद का अपनाया है। फिलिस्तीन के इलाक़े गाज़ा पट्टी की जनता ने इसे अपने ऊपर शासन करने का हक़ भी क़रीब तीन साल पहले दिया था। चुनावों में हमास की जीत हुई थी। भले ही ये मजलूम फिलिस्तीनियों की इच्छाओं की आवाज़ बुलंद करता है, पर हमास को पश्चिमी ताक़तें, आतंकी संगठन मानती हैं। वजह ये कि हमास ने कई बार इज़राइल पर आत्मघाती हमले किए हैं. रॉकेट के हमले तो पिछले कई सालों से लगातार करता रहा है. और गाज़ा पट्टी पर इज़राइल का हमला इन्हीं रॉकेट हमलों को रोकने के लिए है.

एक तरफ़ इज़राइल की सेना है. अति आधुनिक हथियारों से लैस. उसकी पुश्त पर अमेरिका समेत तमाम पश्चिमी ताक़तों का हाथ है. तमाम मसलों पर अमेरिका से इतर राय रखने वाला रूस भी इस मसले पर इज़राइल औऱ अमेरिका के साथ है। वजह ये कि बड़ी संख्या में रूस से आए यहूदी इज़राइल में बसे हैं। औऱ इनके रिश्तेदारों की अच्छी ख़ासी तादाद अभी भी रूस में बसती है।

पर बात हमास की। छोटा सा संगठन है। इमदाद के नाम पर उसे हासिल है ईरान की सरपरस्ती। जो भी थोड़ा बहुत और पैसा मिलता है वो मिस्र के इस्लामी उग्रवादियों के रास्ते आता है। कुल मिलाकर हमास और इज़राइल की तुलना चींटी औऱ हाथी जैसी है। मदमस्त हाथी रूपी इज़राइली फौज निकली है चींटी यानी हमास को कुचलने। चींटी को कुचलने के रास्ते में इज़राइल की सेना ने चींटियों सरीखे सैकड़ों फिलिस्तीनियों को मार डाला है। हमास के नेता-कार्यकर्ता तो ख़ैर मारे ही गए हैं। पर इतनी ताक़तवर सेना से लड़ते हुए हमास ने हौसला नहीं छोड़ा। वो गाज़ा या दूसरे फिलिस्तीनी इलाक़ों पर इज़राइल का राज मानने को तैयार नहीं। फंड की कमी सही, इरादों की नहीं है। उग्र जियोनिज़्म के आगे सऊदी अरब, मिस्र और सीरिया जैसे देशों ने हथियार से डाल रखे हैं, पर हमास ऐसा करने को तैयार नहीं। हमास के छोटे-छोटे रॉकेट, किसी इज़राइली को मार तो नहीं पाते पर उनकी नींद ज़रूर हराम किए रहते हैं। फिलिस्तीनियों की ज़मीन पर अपने घर बनाकर बसे इज़राइलियों के जे़हन में हर वक़्त हमास के मरगिल्ले रॉकेटों का ख़ौफ़ तारी रहता है। ये उन्हें न चैन से जीने देता है और न ही सोने. बस इसी चैन की तलाश में इज़राइली सेना सैकड़ों बेगुनाह फिलिस्तीनियों को मार चुकी है। बड़े बड़े टैंक, जहाज़ और बम लेकर गाज़ा को नेस्तनाबूद करने में लगी है. इरादा है हमास को हमेशा के लिए ख़त्म कर देना। पर इरादों के मजबूत हमास के लड़ाके, मरने को तैयार हैं, झुकने को नहीं। वो चाहते हैं कि इज़राइल के ज़ेहन में उनके रॉकेटों का ख़ौफ बना रहे। ताकि इज़राइली नेता कभी ये न सोचें कि अब फिलिस्तीन पूरी तरह से उनका हुआ। इस जज़्बे को सलाम नहीं तो औऱ क्या करें।

हमास का यही इऱादा अगर हम भारतीय अपना लें तो। अगर पाकिस्तानी हुक्मरानों की नींदें हराम करने का कोई नुस्खा निकाल सकें। अगर चैन से न जी पाने का ख़ौफ उन आतंकियों पर आयद कर सकें जो खुफिया ठिकानों पर बैठकर हमारे ऊपर हमला करने की साज़िशें रचते हैं, तो। जिसे अपने चैन की फिक्र होगी, वो दूसरे का चैन क्या छीनेगा। अगर भारत ऐसी कोई तरक़ीब बना सके कि हमास जैसा ही कोई हौव्वा, इन मरदुए आतंकियों को दिखा सके तो बात बन सकती है।

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