बुधवार, 14 मई 2008

मेरे दोस्त-साथी

कहते हैं कि दोस्त इस दुनिया में ऊपरवाले की सबसे बड़ी नियामत होते हैं। और अगर मैं ये कहूं कि मेरे ऊपर इस मामले में भगवान कुछ ज़्यादा ही मेहरबान रहे हैं तो ग़लत न होगा। मेरी ज़िंदगी में कुछ ही लोगों को दोस्त का दर्जा हासिल हुआ है। लेकिन जिन्हें भी मैंने दोस्त माना है वो पूरी तरह से क़ाबिले ऐतबार रहे हैं। कभी उन्होंने मेरे भरोसे को नहीं तोड़ा। कभी उन्होंने मेरा दिल नहीं दुखाया। कभी उन्होंने मेरी उम्मीद और ज़रूरत के वक़्त मेरा दामन नहीं छोड़ा। मेरे ऐसे दोस्तों को मेरा सलाम। और दोस्ती के जज़्बे को भी। मैंने ताज़ा ताज़ा ब्लॉग लिखना शुरू किया है और इसमें मेरे दोस्तों का ज़िक्र न हो ऐसा हो नहीं सकता। लेकिन उनके बारे में मैं विस्तार से लिखूंगा और जानना चाहूंगा कि दोस्ती के जज़्बे के बारे में बाक़ी दुनिया की क्या राय है। अगर कोई भी मेरा ब्लॉग पढ़ता है तो उससे गुज़ारिश है कि वो दोस्ती के बारे में ज़रूर अपनी राय ज़ाहिर करे। वैसे ये पोस्ट तब तक अधूरा है जब तक दोस्तों के बारे में अपने दिल में छुपी सारी भावनाएं मैं इसमें छाप न दूं। तब तक करें इंतज़ार....

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